राष्ट्रीय संरक्षा परिषद की खोज के अनुशार भारतवर्ष में हर वर्ष हजारो की संख्या में असावधानी और लापरवाही से अग्नि दुर्घटनाओ से कितनी ही जाने चली जाती है जो की थोड़ी सी सावधानी से बचायी जा सकती है ।
इसमें 3% घरो में होती है और उनमे छोटे बच्चे और बूढ़े अधिक है अग्नि दुर्घटना में उस अंग की जलने की गहराई आयु, स्वास्थ्य और शीघ्र फर्स्ट ऐड पर निर्भर करती है ।
जलने के कारण -
1. सूखी गर्मी से जलना - जैसे आग से तेज गर्म धातु के छूने या उसके साथ लगने से, चलती हुई कल - पुर्जो की रगड से या बहुत तेज विधुत शक्ति आदि से ।
2. गीली गर्मी से जलना - जैसे उबालता हुआ दूध, घी, तेल, चाय,तारकोल, स्टीम आदि से ।
चिह्न और लक्षण -
1. जले हुए स्थान पर अधिक दर्द होता है ।
2. जले हुए स्थान की चमड़ी लाल हो जाती है ।
3. वहां फफोले पड़ जाते है ।
4. चमड़ी गल - फट जाती है ।
5.सदमा और कीटाणुओं का भय होता है ।
फर्स्ट ऐड में क्या करना चाहिए - प्राय: यह देखा जाता है की जल्दी से घाव को गंदे हाथ लगा कर अलग - अलग चीजो से भर देते है जैसे खोपरे का तेल, लस्सी, दही आदि जो ठीक नही है, इससे सेप्टिक होने का भी भय रहता है ।
सही फर्स्ट ऐड -
1.अपने हाथ साफ होने चाहिए ।
2.जले हुए कपड़ो को मत उतारिये ।
3.छालो को मत फोडीये न काटिये।
4.रोगी के अनावश्यक कपडे न उतारिये, केवल उतने ही उतारिये जितने आवश्यक हो अधिक कपडे उतारने से आघात का डर रहता है ।
5. उसके पांव वाले हिस्से को थोडा ऊँचा रखे रोगी को कम्बल,चद्दर आदि से ढंक दे ।
6 इससे पहले की जले हुए अंग में सूजनआ जाए इं चीजो को शीध्र उतर दे जैसे - अंगूठी, चूड़िय, जूते, आदि
7. यदि छाले फूट गये है और कपडा साथ चिपक गया हो तो उसको खींच कर मत उतारे भले ही कपड़ो को आस - पास से काट दे ।
8.जले हुए स्थान पर (जले हुए घाव की मरहम) लगावे ।
9. यदि रोगी होश में हो तो उसे तरल पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पिलाओ जैसे दूध, चाय,काफी आदि अधिक चीनी मिलाकर ।
10. आधिक जले हुए अंग पर पट्टी या गद्दिया लगाकर खपच्चिया भी बांध सकते है ।
11. रोगी को शीघ्र अति शीघ्र अस्पताल ले जाओ या डॉक्टर को बुलाओ ।
12. अम्ल और क्षार पदार्थो से जलने वाले स्थान के कपडे को अपने हाथो से बचाते हुए उतार दे और नल के पानी से अच्छी तरह धोए ।